जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को उत्साह पूर्वक काम करना होता है, लेकिन कभी-2 व्यक्ति के साथ ऐसी चीज़े हो जाती है, जिससे वह निराश हो जाता है। उत्साह के साथ कार्य करना बंद कर देता है, जिससे वह सफलता के बेहद करीब होने के बाद भी सफलता प्राप्त नही कर पाता, निराशा को दूर करने के लिए हम आपके लिए लाये है, कुछ प्रेरणादायक विचार।
(1) श्रेष्ठ होना कोई कार्य नही बल्कि यह हमारी एक आदत है, जिसे हम बार बार करते है।
(2) विजेता बोलते हैं, कि मुझे कुछ करना चाहिए, जबकि हारने वाले बोलते हैं, कि कुछ होना चाहिए।
(3) मैं हर कदम पर हारा हूँ, पर जन्मा केवल जीत के लिए हूँ।
(4) बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे की सोचो क्योंकि विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है ।
(5) मैं कर सकता हूँ, यह विश्वाश है. केवल मैं ही कर सकता हूँ, यह अंधविश्वास है।
(6) बिना विश्वास के कोई काम हो ही नहीं सकता।
(7) गजब तक तुम स्वयं पर विश्वाश नहीं करते, परमात्मा में विश्वास कर ही नहीं सकते।
(8) प्राण देकर भी मित्र के प्राण की रक्षा करनी चाहिए।
(9) जो काम पड़ने पर सहायक होता है, वही मित्र है।
(10) अभागों के मित्र नहीं होते।
(11) मित्र को प्रकृति की उत्कृष्ट कृति माना जा सकता है।
(12) लोहे के गर्म होने का इन्तजार मत करो बल्कि अपनी तपन द्वारा इसे गर्म बनाओ यानि समय का इन्तजार मत करो बल्कि ऐसी कोशिश करो की समय आपके अनुकूल हो जाये।
(13) किसी को अपना बनाने के लिए हमारी सारी खूबियां भी कम पड़ जाती हैं, जबकि किसी को खोने के लिए एक कमी ही काफी है।
(14) मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो।
(15)सभी गलत कार्य मन से उपजते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या गलत कार्य ठहर सकता है।
(16) मित्रों का चुनाव सावधानी से करें क्योंकि हमारे व्यक्तित्व की झलक हमारे उन मित्रों से भी मिलती हैं जिनकी संगत से हम दूर रहते हैं।
(17) अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही तो कला है ।
(18) कला का सत्य जीवन की परिधि में सौंदर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखंड सत्य है।
(19)कला प्रकृति की सहायता करती है, और अनुभव कला की।